तुलसी पूजन दिवस | तुलसी की विशेष बातें | Tulsi Pujan Diwas Special
तुलसी का स्थान
भारतीय संस्कृति में पवित्र तथा महत्त्वपूर्ण हैं। तुलसी को माता कहा गया हैं। यह
माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती हैं। प्राचीन काल से ही यह
परंपरा चली आ रही हैं कि घर में तुलसी का पौधा होना चाहिए। तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य– लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही
आध्यात्मिक लाभ भी होता हैं।
देश में सुख, सौहार्द,
स्वास्थ्य, शांति से जन– समाज का जीवन मंगलमय
हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र के हितचिंतक पूज्य बापूजी की पावन
प्रेरणा से २५ दिसम्बर को पुरे देश में ‘तुलसी पूजन दिवस’
मनाना प्रारम्भ किया जा रहा हैं। तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ेगा। मानसिक अवसाद,
आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होगी तथा लोगों को भारतीय संस्कृति
के इस सूक्ष्म ऋषि– विज्ञान का लाभ मिलेगा।
‘स्कंद पुराण’ के अनुसार ‘जिस
घर में तुलसी का बगीचा होता हैं अथवा प्रतिदिन पूजन होता हैं उसमें यमदूत प्रवेश
नहीं करते।’ शास्त्रों में तुलसी को पूजनीय, पवित्र तथा देवी स्वरूप माना गया हैं, इस कारण घर में
तुलसी हो तो कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। तुलसी की उपस्थितिमात्र से हलके
स्पंदनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा
होती हैं।
यदि ये बातें ध्यान रखी जाती हैं तो सभी
देवी-देवताओं की विशेष कृपा हमारे घर पर बनी रहती हैं। ‘गरुड
पुराण’ के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष
लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान,
स्पर्श तथा गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर
विनष्ट हो जाते हैं, घर में सकारात्मक तथा सुखद वातावरण बना
रहता हैं, पैसों की कमी नहीं आती हैं तथा परिवार के सदस्यों
को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता हैं।’ (गरुड़ पुराण, धर्म कांड– प्रेतकल्प:३८.११)
🌿 शास्त्रों के अनुसार तुलसी की 8 विशेष बातें 🌿
🌿 1. इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए तुलसी के पत्ते-
शास्त्रों के अनुसार
तुलसी के पत्ते कुछ विशेष दिनों में नहीं तोड़ने चाहिए। ये दिन हैं अमावश्या,
पूनम, एकादशी,द्ववादशी,
रविवार तथा सूर्य या चंद्र ग्रहण काल। इन दिनों में तथा रात के समय
तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। बिना उपयोग तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ने चाहिए।
ऐसा करने पर व्यक्ति को दोष लगता हैं। अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते तोड़ना,
तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया हैं।
🌿 2. प्रतिदिन करें तुलसी का पूजन-
हर प्रतिदिन तुलसी
पूजन करना चाहिए साथ ही यहां बताई जा रही
सभी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, हर शाम तुलसी के पास
दीपक लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता हैं कि जो लोग शाम के समय तुलसी के पास दीपक लगाते
हैं, उनके घर में महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती हैं।
🌿 3. तुलसी से दूर होते हैं वास्तु दोष-
तुलसी घर-आंगन में
होने से कई प्रकार के वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं तथा परिवार की आर्थिक
स्थिति पर शुभ असर होता हैं।
🌿 4. तुलसी का पौधा घर में हो तो नहीं लगती हैं बुरी नजर-
ऐसी मान्यता हैं कि
तुलसी का पौधा होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती हैं। साथ ही,
सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय नहीं हो पाती हैं। सकारात्मक
ऊर्जा को बल मिलता हैं।
🌿 5. तुलसी का सूखा पौधा नहीं रखना चाहिए घर में-
यदि घर में लगा हुआ
तुलसी का पौधा सूख जाता हैं तो उसे किसी पवित्र नदी में या तालाब में या कुएं में
प्रवाहित कर देना चाहिए। तुलसी का सूखा पौधा घर में रखना अशुभ माना जाता हैं।
🌿 6. सूखा पौधा हटाने के बाद तुरंत लगा लेना चाहिए तुलसी का दूसरा पौधा-
एक पौधा सूख जाने के
बाद तुरंत ही दूसरा तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। सूखा हुआ तुलसी का पौधा घर में
होने से बरकत पर बुरा असर पड़ सकता हैं। इसी वजह से घर में हमेशा पूरी तरह स्वस्थ
तुलसी का पौधा ही लगाया जाना चाहिए।
🌿 7. तुलसी हैं औषधि भी-
तुलसी का धार्मिक
महत्व तो हैं, साथ ही आयुर्वेद में इसे संजीवनीबूटी के समान
माना जाता हैं। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो कई बीमारियों को दूर करने तथा
उनकी रोकथाम करने में सहायक हैं। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण
को पवित्र बनाती हैं तथा हवा में मौजूद बीमारी फैलाने वाले कई सूक्ष्म कीटाणुओं को
नष्ट कर देती हैं।
🌿 8. प्रतिदिन तुलसी की एक पत्ती सेवन करने से मिलते हैं ये फायदे-
तुलसी की सुंगध हमें
श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती हैं। साथ ही, तुलसी की एक
पत्ती प्रतिदिन सेवन करने से हम सामान्य बुखार से बचे रहते हैं। मौसम परिवर्तन के
समय होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाव हो सकता हैं। तुलसी की पत्ती
सेवन करने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती हैं, लेकिन हमें नियमित रूप से तुलसी की पत्ती का सेवन करते रहना चाहिए।
🌿 तुलसी पूजन विधि 🌿
२५ दिसम्बर को सुबह
स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान
पर रखें। उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढायें:
🌷 महाप्रसाद
जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा
नित्यम् तुलसी त्वाम् नमोस्तुते
🌿 फिर ‘तुलस्यै नम:’ मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा वस्त्र व कुछ प्रसाद चढायें। दीपक
जलाकर आरती करें तथा तुलसीजी की ७, ११, २१,५१ व १०८ परिक्रमा करें। उस शुद्ध वातावरण में
शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें। तुलसी के पास
बैठकर प्राणायाम करने से बल, बुद्धि तथा ओज की वृद्धि होती हैं।
🌿 तुलसी– पत्ते
डालकर प्रसाद वितरित करें। तुलसी के समीप रात्रि १२ बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद-विश्रांति
पायें। तुलसी– नामाष्टक का पाठ भी पुण्यदायक हैं। तुलसी– पूजन अपने नजदीकी आश्रम
या तुलसी वन में अथवा यथा–अनुकूल किसी भी पवित्र स्थान में
कर सकते हैं।
🌷 तुलसी– नामाष्टक 🌷
वृन्दां वृन्दावनीं
विश्वपावनी विश्वपूजिताम्।
पुष्पसारां नन्दिनी
च तुलसी कृष्णजीवनीम्।।
एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं
नामार्थसंयुतम्।
य: पठेत्तां च
संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत्।।
🌿 भगवान
नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं: “वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता,
पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी
तथा कृष्णजीवनी– ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं। यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप
में परिणत हैं।
🌿 जो पुरुष
तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता हैं, उसे
अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता हैं। (ब्रह्मवैवर्त पुराण,
प्रकृति खण्ड:२२.३२-३३)
🌿 वैज्ञानिक तथ्य 🌿
• डिफेन्स रिसर्च
एंड डेवलमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों द्वारा
किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ हैं कि ‘तुलसी में एंटी
ऑक्सीडंट गुणधर्म हैं तथा वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना
देती हैं। कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा
धुम्रपान के कारण जो कोशों को हानि पहुँचानेवाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं,
उनको तुलसी नष्ट कर देती हैं।’
• तुलसी संक्रामक
रोगों, जैसे– यक्ष्मा (टी.बी.), मलेरिया
इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी हैं।
• तिरुपति के एस.वी.
विश्वविद्यालय में किये गये एक अध्ययन के अनुसार ‘तुलसी का
पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोड़ता हैं, जो विशेष
स्फूर्तिप्रद हैं।’
• आभामंडल नापने के
यंत्र ‘युनिवर्सल स्केनर’ ले माध्यम से
तकनीकी विशेषज्ञ श्री. के. एम्. जैन द्वारा किये गये परीक्षणों से यह बात सामने
आयी कि ‘यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी या देशी गाय की
परिक्रमा करे तो उसके शरीर में धनात्मक ऊर्जा बढ़ जाती हैं, जिससे
शरीर पर रोगों के आक्रमण की सम्भावना भी काफी कम हो जाती हैं। यदि कोई व्यक्ति
तुलसी के पौधे की ९ बार परिक्रमा करे तो उसके आभामंडल के प्रभाव क्षेत्र में ३
मीटर की आश्चर्यकारक बढ़ोत्तरी होती हैं।’
• फ्रेच डॉक्टर
विक्टर रेसीन ने कहा हैं- "तुलसी एक अदभुत औषधि हैं।"
• इम्पीरियल मलेरियल
कॉन्फ्रेंस का दावा हैं कि 'मलेरिया की विश्वसनीय, प्रामाणिक दवा हैं– तुलसी।'
• ''तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में विद्युतीय शक्ति का प्रवाह नियंत्रित
होता हैं तथा व्यक्ति की जीवन-अवधि में वृद्धि होती हैं।"- वनस्पति वैज्ञानिक
डॉक्टर जी.डी. नाडकर्णी
🌿 दरिद्रतानाशक तुलसी 🌿
1- ईशान कोण में
तुलसी का पौधा लगाने से तथा पूजा के स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती हैं।
2- ‘तुलसी पूजन दिवस के दिन शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की १०८
परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती हैं।’– पूज्य बापूजी
3- सोमवती अमावस्या
को तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती हैं। (हिन्दुओं के रीति रिवाज
तथा मान्यताएँ)
4- जिस घर में तुलसी
का पौधा हो उस घर में दरिद्रता नहीं रहती। जहाँ तुलसी विराजमान होती हैं, वहाँ दुःख, भय तथा रोग नहीं ठहरते। (पद्म पुराण,
उत्तर खण्ड)
5- श्रीं ह्रीं
क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा। इस दशाक्षर मंत्र के द्वारा विधिसहित तुलसी का पूजन
करने से मनुष्य को समस्त सिद्धि प्राप्त होती हैं। (ब्रह्मवैवर्त पुराण प्र. खं.
22.10.11)
6- जो दरिद्रता नष्ट
करना व सुख-सम्पदा पाना चाहता हैं, उसे तुलसी पूजन दिवस के
अवसर पर शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।
7- तुलसी को प्रतिदिन
जल चढ़ाने तथा गाय के घी का दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती हैं।
🌿 विदेशों में भी होती हैं तुलसी पूजा 🌿
मात्र भारत में ही
नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया हैं।
ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी तथा सेंट बेजिल
जयंती के दिन ‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो’ इस भावना से देवल में चढाई गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले
जाती थीं।
फ्रेंच डॉक्टर
विक्टर रेसीन ने कहा हैं: “तुलसी एक अद्भुत औषधि हैं,
जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों
की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यंत लाभकारी हैं।”
🌿 तुलसी के अनेक लाभ 🌿
तुलसी शरीर के लगभग
समस्त रोगों में अत्यंत असरकारक औषधि हैं।
१- यह प्रदूषित वायु
का शुद्धिकरण करती हैं तथा इससे प्राणघातक तथा दु:साध्य रोग भी ठीक हो सकते हैं।
२- प्रात: खाली पेट
तुलसी का रस पीने अथवा ५– ७ पत्ते चबाकर पानी पीने से बल, तेज
तथा स्मरणशक्ति में वृद्धि होती हैं।
३- तुलसी गुर्दे की
कार्यशक्ति को बढ़ाती हैं। कोलेस्ट्रोल को सामान्य बना देती हैं। ह्रदयरोग में
आश्चर्यजनक लाभ करती हैं। आँतों के रोगों के लिए तो यह रामबाण हैं।
४- नित्य तुलसी– सेवन
से अम्लपित्त (एसिडिटी) दूर हो जाता हैं, मांसपेशियाँ का
दर्द, सर्दी-जुकाम, मोटापा, बच्चों के रोग विशेषकर कफ, दस्त, उलटी, पेट के कृमि आदि में लाभ होता हैं।
५- चरक सूत्र में
आता हैं कि ‘तुलसी हिचकी, खाँसी,
विषदोष, श्वास रोग तथा पार्श्वशूल को नष्ट
करती हैं। वह वात, कफ तथा मूँह की दुर्गंध को नष्ट करती हैं।’
६- घर की किसी भी
दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ व आरोग्यरक्षक हैं।
७- ‘तुलसी के निकट जिस मंत्र– स्तोत्र आदि का जप पाठ किया जाता हैं, वह सब अनंत गुना फल देनेवाला होता हैं।’ (पद्म पुराण)
८- ‘मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह
सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता हैं।’ (ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड:२१.४२)
🌿 शुद्ध वायु-प्राप्ति के उपाय 🌿
नीलगिरी (सफेदा) के
वृक्ष वायु को गंदा करते हैं, जीवनीशक्ति हरते हैं।
इसके विपरीत तुलसी,पीपलके
पेड़ जीवनीशक्ति विपुल प्रमाण में देते हैं। अतः तुलसी, पीपल,
नीम तथा आँवले के वृक्ष दिल खोलकर लगाने चाहिए। ये वृक्ष लगाने से
आपके द्वारा प्राणिमात्र की बड़ी सेवा होगी। खुद वृक्ष लगाना तथा दूसरों को
प्रेरित करना भी एक सेवा हैं। राष्ट्रीय कर्तव्य हैं पर्यावरण के लिए पेड़ लगाना।
पेड़ हमारे स्वास्थ्य के लिए तथा पर्यावरण के लिए वरदान हैं, आशीर्वाद हैं।
🌿 तुलसी का महान इतिहास 🌿
पूजनीय वृक्षों में
तुलसी का बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान हैं। तुलसी का पूजन, दर्शन,
सेवन व रोपण आधिदैविक, आधिभौतिक तथा
आध्यात्मिक– तीनों प्रकार के तापों का नाश कर सुख-समृद्धि देने वाला हैं।
भगवान शिव कहते हैं-
"तुलसी सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं।" (पद्म पुराण)
अपने हित साधन की
इच्छा से दंडकारण्य में व राक्षसों का वध करने के उद्देश्य से सरयू तट पर भगवान श्री
राम जी ने एवं गोमती तट पर व वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ने तुलसी लगायी थी। अशोक
वाटिका में सीता जी ने रामजी की प्राप्ति के लिए तुलसी जी का मानस पूजन ध्यान किया
था। हिमालय पर्वत पर पार्वती जी ने शंकर जी की प्राप्ति के लिए तुलसी का वृक्ष
लगाया था। (पद्म पुराण)
भगवान विष्णु की कोई
भी पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं मानी जाती। हमारे ऋषि-मुनि अपने आसपास तुलसी का
पौधा लगाते व तुलसीयुक्त जल का आचमन लेते थे।
'पद्म पुराण'
के अनुसार 'जिनके दर्शनमात्र से करोड़ों गोदान
का फल होता हैं, उन तुलसी का पूजन तथा वंदन क्यों न करें!'
(अर्थात् अवश्य करें।)
तकनीकी विशेषज्ञ
श्री के.एम.जैन ने एक विशेष यंत्र के माध्यम से परीक्षण करके यह निष्कर्ष निकाला
कि 'यदि कोई व्यक्ति तुलसी के पौधे या देशी गाय की नौ बार
परिक्रमा करे तो उसके आभामंडल के प्रभाव क्षेत्र में तीन मीटर की आश्चर्यकारक
बढ़ोतरी होती हैं।' आभामंडल का दायरा जितना अधिक होगा,
व्यक्ति उतना ही अधिक कार्यक्षम, मानसिक रूप
से क्षमतावान व स्वस्थ होगा।
🌿 शीत ऋतू में आरोग्यवर्धक तुलसी पेय 🌿
सामग्री: ५ ग्राम
सूखे तुलसी– पत्तों का चूर्ण या २५ ग्राम ताजे तुलसी– पत्ते, १.५ ग्राम सोंठ चूर्ण या ५ ग्राम ताजा अदरक, १.५
ग्राम अजवायन, ०.५ ग्राम काली मिर्च, १.५
ग्राम हल्दी चूर्ण।
विधि: १ लीटर पानी
में उपरोक्त सभी चीजें अच्छी तरह उबालें। ८- १० व्यक्तियों के लिए यह पर्याप्त
हैं। यह आरोग्यप्रदायक सात्त्विक पेय सर्दियों में चाय का बेहतर विकल्प हैं। यह
सर्दी– जुकाम एवं बुखार में बहुत लाभकारी हैं।
स्फूर्तिप्रदायक
शीतल तुलसी पेय
सामग्री: तुलसी,
सौंफ, सफेद मिर्च, मिश्री
आदि।
विधि: २०० मि.ली.
पानी में ३ ग्राम सूखे तुलसी पत्तों का चूर्ण, ३ ग्राम पिसी
सौंफ, २– ३ पिसी हुई सफेद मिर्च तथा आवश्यकतानुसार मिश्री
डालें। यह पेय शीतलता, शक्ति एवं ताजगी प्रदान करनेवाला हैं।
🌿 तुलसी पूजन दिवस का महत्व 🌿
तुलसी पूजन दिवस 25 दिसम्बर
को भारत में बनाया जाता हैं। इस दिन ईसाईयों का मुख्य पर्व क्रिसमस भी होता हैं।
हम हिन्दू इस वेस्टर्न फेस्टिवल के कारण इस महापर्व को कभी भूले नही। तुलसी जी का
पौधा धार्मिक , वैज्ञानिक तथा स्वास्थ्य के रूप से सदैव
पूजनीय हैं। इन्हे देवी माँ की उपाधि प्राप्त हैं। कहते हैं की तुलसी जी का पौधा
घर पर संकट आने से पहले ही ईशारे देना शुरू कर देता हैं।
🌿 सुख-शांति, समृद्धि व आरोग्य प्रदायिनी तुलसी 🌿
तुलसी का स्थान
भारतीय संस्कृति में पवित्र तथा महत्त्वपूर्ण हैं। यह माँ के समान सभी प्रकार से
हमारा रक्षण व पोषण करती हैं।
तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही
आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं।
तुलसी पूजन से
बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व
आरोग्यबल बढेगा। मानसिक अवसाद, आत्महत्या आदि से लोगों की
रक्षा होगी तथा लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलेगा।
‘स्कंद पुराण'
के अनुसार ‘जिस घर में तुलसी का बगीचा होता
हैं अथवा प्रतिदिन पूजन होता हैं उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते।
तुलसी की उपस्थिति
मात्र से हलके स्पंदनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट
विचारों से रक्षा होती हैं।
‘गरुड पुराण'
के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श
तथा गुणगान करने से पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं।
🌿 संकल्प करें 🌿
२४ दिसम्बर को
रात्रि को सोते समय संकल्प करें कि ‘कल मैं तुलसी पूजन
करूँगा। तुलसी माता हमारे रोग– शोक दूर कर सुख– समृद्धि, बरकत
व शांति देंगी’ तथा भगवान विष्णु या सदगुरुदेव का चिंतन– ध्यान
करते हुए सो जायें।
🌿 कैसे करे तुलसी पूजन 🌿
वैसे तो तुलसी जी की
पूजा नित्य ही करनी चाहिए पर तुलसी पूजन के दिन विशेष पूजा अर्चना कर वृंदा देवी
को प्रसन्न करे।
• सुबह स्नानादि से
निवृत होकर तुलसी को ऊँचे स्थान पर विराजित करे।
• घर की महिमा को इस
दिन तुलसी जी को नयी चुनरी पहनानी चाहिए।
तुलसी का सोलह
श्रंगार कर सके तो अति उत्तम होगा।
• अब जल सींचते समय
यह तुलसी मंत्र का उच्चारण करे।
महाप्रसादजननी
सर्व सौभाग्यवर्धिनी।
आधि
व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
• उसके बाद तुलस्यै नमः मंत्र बोलते बोलते गमले पर तिलक करे तथा पुष्प,
अक्षत तथा प्रसाद अर्पित करे।
• दीपक जलाकर तुलसी
जी की आरती करे तथा फिर 11 परिक्रमा करे।
• अब आपको कुछ पत्ते
तोड़ने हैं। पर तुलसी जी के पत्ते तोड़ते समय कुछ नियम ध्यान में रखे। तथा तोड़े हुए
पत्ते प्रसाद में डालकर उसे घर के सदस्यों में वितरित करे।
• तुलसी जी से सुख
समृधि तथा सम्पन्नता की विनती करे।
🌿 इस दिन करे प्रचार 🌿
इसमे कोई शंका नही
की तुलसी का पौधा एक देवी तुल्य हैं जिन्हें लक्ष्मी जी का ही एक रूप माना जाता
हैं। पुराणों में कथा के अनुसार देव उठनी एकादशी पर तुलसी जी का विवाह शालिग्राम
जी के साथ सम्पन्न करवाया जाता हैं।
हमें यह बात हर
हिन्दू को बतानी चाहिए तथा घर घर में तुलसी जी पौधे वितरित कर यह धार्मिक कार्य मन
से संपन्न करना चाहिए।
बहुत से हिन्दू
परिवार ऐसे हैं जो 25 दिसम्बर को क्रिसमस ट्री तो सजाने में लगे रहते हैं पर उनके
घर में तुलसी जी का पौधा नही होता।
प्रतिवर्ष 25
दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता हैं। तुलसी सम्पूर्ण धरा के लिए वरदान हैं,
अत्यंत उपयोगी औषधि हैं, मात्र इतना ही नहीं,
यह तो मानव जीवन के लिए अमृत हैं! यह केवल शरीर स्वास्थ्य की दृष्टि
से ही नहीं, अपितु धार्मिक, आध्यात्मिक,
पर्यावरणीय एवं वैज्ञानिक आदि विभिन्न दृष्टियों से भी बहुत
महत्वपूर्ण हैं।
तुलसी उत्तम
अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता
वर्धक होने से यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होता हैं। धनुर्मास में सभी सकाम
कर्म वर्जित होते हैं परंतु भगवत्प्रीतिर्थ कर्म विशेष फलदायी व प्रसन्नता देने
वाले होते हैं। 25 दिसम्बर धनुर्मास के बीच का समय होता हैं। तुलसी पूजन दिवस भारत
में श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता हैं। इस पहल को संत श्री आशारामजी बापू ने शुरू की।
🌿 “घर-घर तुलसी लगाओ” अभियान 🌿
25 दिसम्बर से पहले
तुलसी का पौधा हर घर में पहुँचे ताकि हर कोई इस पुण्य-स्वास्थ्य प्रदायक, धन-धान्य-सौभाग्य वर्धक, हृदय में भगवद्भक्ति
उत्पन्न करने वाले पूजन का लाभ ले सकें। यह लोकहितकारी दैवी कार्य खूब व्यापक हो तथा
समस्त विश्वमानव इससे लाभान्वित हो इस उद्देश्य से श्री योग वेदांत सेवा समिति एवं
महिला उत्थान मंडल द्वारा "तुलसी पूजन दिवस" एवं "घर-घर तुलसी लगाओ
अभियान" शुरु किया गया हैं। श्री योग वेदांत सेवा समिति हर वर्ष घर घर तुलसी
लगवाने के कार्यक्रम चलाता हैं तथा इसके औषधीय गुणों से परिचित करवाता हैं।
🌿 तुलसी तथा पर्यावरण 🌿
“मानव जीवन के लिए
परम आवश्यक”
हम 1 दिन में लगभग
1.5 किलो भोजन करते हैं, 2 से 3 लिटर पानी पीते हैं लेकिन 21
हजार 600 श्वास लेते हैं। उसमें 11 हजार लिटर हवा लेते छोड़ते हैं, जिससे हमें लगभग 10 किलो भोजन का बल मिलता हैं। अब वह वायु जितनी गंदी
(प्रदूषित) होती हैं, उतना ही लोगों का स्वास्थ्य तथा
(वायुरूपी) भोजन खराब हो जाता हैं। तुलसी वायु को शुद्ध करती हैं।
🌿 पद्म पुराण के अनुसार 🌿
या
दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी।
रोगाणामभिवन्दिता
निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी।।
प्रत्यासत्तिविधायिनी
भगवतः कृष्णस्य संरोपिता।
न्यस्ता
तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः।।
जो दर्शन करने पर
सारे पाप-समुदाय का नाश कर देती हैं, स्पर्श करने पर शरीर को
पवित्र बनाती हैं, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती हैं,
जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती हैं, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती हैं तथा भगवान के चरणों
में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती हैं, उस तुलसी देवी
को नमस्कार हैं। (पद्म पुराणः उ.खं. 56.22)
गरुड़ पुराण (धर्म
काण्ड– प्रेत कल्पः 38.11) में आता हैं कि तुलसी का पौधा लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श
तथा गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण
(प्रकृति खण्डः 21.43) में आता हैं कि मृत्यु के समय जो तुलसी पत्ते सहित जल का पान करता हैं, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक में जाता हैं।
स्कन्द पुराण के
अनुसारः जिस घर में तुलसी का बग़ीचा होता हैं (एवं प्रतिदिन पूजन होता हैं),
उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते।
बासी फूल तथा बासी
जल पूजा के लिए वर्जित हैं परन्तु तुलसीदल तथा गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं
हैं। (स्कन्द पुराण, वै. खं. मा.मा. 8.9)
घर में लगायी हुई
तुलसी मनुष्यों के लिए कल्याणकारिणी, धन पुत्र प्रदान करने
वाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देने वाली होती हैं।
प्रातःकाल तुलसी का दर्शन करने से (सवा मासा अर्थात् सवा ग्राम) सुवर्ण दान का फल
प्राप्त होता हैं। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंडः
103.62-63)
अपने घर से दक्षिण
की ओर तुलसी-वृक्ष का रोपण नहीं करना चाहिए, अन्यथा यम-यातना
भोगनी पड़ती हैं। (भविष्य पुराण)
तुलसी की उपस्थितिमात्र
से हलके स्पंदनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती हैं।
No comments:
Post a Comment